घर-दफ्तर के पानी की जांच सभी करा सकेंगे, मुआवजा भी मिलेगा, जानिए कैसे

घर, दफ्तर, शिक्षण संस्थान व अन्य स्थानों पर नल और हैंडपंप के जरिए मिलने वाले पेयजल की गुणवत्ता जांच अब आसानी से हो सकेगी। इसके लिए देश भर की पेयजल जांच प्रयोगशालाएं आम जनता के लिए खोली जाने वाली हैं। जांच रिपोर्ट से अगर यह साबित हुआ कि दूषित पेयजल पीने से किसी को गम्भीर बीमारी हुई है तो वह संबंधित पेयजल आपूर्ति एजेंसी से समुचित मुआवजा पाने का हकदार होगा।
जल जीवन मिशन के तहत बीमारियों को पीने के पानी से जोड़ दिया गया है। पेयजल की गुणवत्ता को जनस्वास्थ्य से जोड़े जाने के इस नये अभियान की शुरुआत जल्द ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। जल जीवन मिशन के तहत ‘हर घर जल’ कार्यक्रम में पानी की गुणवत्ता की जांच, निगरानी व सर्विलांस के लिए एक नया पोर्टल ँ३३स्र२://ल्लीी१.्रूे१.ङ्म१ॅ.्रल्ल/ विकसित किया गया है जिसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से सम्बद्ध किया गया है।
पंजीकरण के बाद करा सकेंगे जल की जांच
गूगल प्ले स्टोर में एक मोबाइल एप डाला जाएगा। जिसमें पंजीकरण करा कर कोई भी व्यक्ति अपने पेयजल की जांच सरकारी प्रयोगशाला में करवा सकेगा। पंजीकरण के लिए मोबाइल नम्बर और पासवर्ड देना होगा, उसके बाद आप जिस राज्य या जिले में रहते हैं। वहां पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए सक्रिय प्रयोगशाला का पूरा पता उपलब्ध हो जाएगा, उस प्रयोगशाला में आप अपने पेयजल के सैम्पल को बुक करवा सकेंगे। उस प्रयोगशाला में आप पानी का सैम्पल लेकर जाएंगे तो वहां निर्धारित शुल्क लेकर आपका सैम्पल ले लिया जाएगा और जांच के बाद आपको उसकी रिपोर्ट भी उपलब्ध करा दी जाएगी।
आईसीएमआर को जिम्मेदारी
उ.प्र.जल निगम के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगर किसी स्थान विशेष से अस्पतालों में ज्यादा मरीज आने लगेंगे तो आईसीएमआर स्वयं उस इलाके के पानी की गुणवत्ता जांच कराएगी। पोर्टल पर यह ब्योरा भी उपलब्ध रहेगा कि अगर आपको बीमारी के ये लक्षण हैं तो आप अपने पेयजल की गुणवत्ता की जांच करवाएं। अगर जांच रिपोर्ट में आपके घर, कार्यालय, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, शिक्षण संस्थान आदि के पेजजल में घातक जहरीली धातुएं, बैक्टीरिया व अन्य प्रदूषण पाया जाता है तो फिर पेयजल आपूर्ति एजेंसी से जवाब तलब किया जाएगा। अगर यह साबित हो जाएगा कि पेयजल का प्रयोग करने से किसी को गम्भीर बीमारी हुई है तो संबंधित पेयजल आपूर्ति एजेंसी से उस व्यक्ति को मुआवजा भी दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
तैयारी
-प्रदेश में पेयजल जांच के लिए सक्रिय कुल लैब- 81
-इनमें एक राज्यस्तरीय, 75 लैब जिलों में, 05 मोबाइल लैब
– प्रदेश सरकार ने प्रयोगशालाओं के पते, उनके जीपीएस कोड, वहां उपलब्ध सुविधाओं आदि का ब्योरा केन्द्र को भेजा
शुल्क प्रस्ताव
-गंदे पानी के आठ मानक जैसे टीडीएस, क्लोरीन, पीएच, हार्डनेस आदि की जांच के लिए 50 रुपये प्रति सैम्पल शुल्क लेने का सुझाव।
-आर्सेनिक, आयरन, पारा, क्रोमियम, मैगनीज, निकिल जैसी जहरीली धातु और बैक्टीरिया युक्त पेयजल की जांच के लिए 600 रुपये प्रति सैम्पल शुल्क का प्रस्ताव
अड़चन
– सक्रिय प्रयोगशालाओं में विशेषज्ञ व अन्य स्टाफ की दिक्कत
– तहसील स्तर पर 48 प्रयोगशालाएं समुचित स्टाफ व संसाधन न होने की वजह से निष्क्रिय
लखनऊ में जल निगम मुख्यालय की राज्य स्तरीय प्रयोगशाला को नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड ऑफ टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज से मान्यता मिल गई है। अन्य लैब की मान्यता के लिए आवेदन भेजे गए हैं।
विकास गोठलवाल, एमडी,जल निगम
पेयजल की गुणवत्ता जांचने के लिए पहली बार ऑनलाइन व्यवस्था की जा रही है। उम्मीद है कि इसी महीने इस अभियान की शुरुआत हो जाएगी।