150 साल पुराने ‘महिला फांसी-घर’ को 74 साल से है ‘गर्दन’ का इंतजार, शबनम को जहां मिलेगी फांसी, जानें उसके बारे में सबकुछ
करीब 150 वर्ष पुराने मथुरा के जिला कारागार स्थित फांसी घर को 74 वर्ष से महिला मुजरिम की गर्दन का इंतजार है। 1998 में एक महिला को फांसी की सजा उम्र कैद में बदल दी गई थी। अब 7 परिजनों की हत्या करने वाली शबनम को फांसी की सुगबुगाहट है। तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। बता दें कि आजादी के बाद से अभी तक इस महिला फांसीघर में किसी को फांसी नहीं दी जा सकी है। मथुरा स्थित जिला जेल में प्रदेश का एकमात्र महिला फांसी घर है। 23 वर्ष पूर्व राम श्री को फांसी दिए जाने के लिए यहां लाया गया था लेकिन तब महिला संगठनों के विरोध के बाद उसकी फांसी उम्र कैद में बदल दी गई थी। अब अमरोहा की शबनम को फांसी लगाने के लिए यहां लाया जाएगा।
अंग्रेजों के जमाने में बना था महिला फांसी घर
जिला जेल में महिला फांसीघर अंग्रेजों के समय 1870 में बनाया गया था। उत्तर प्रदेश के इस एकमात्र महिला फांसीघर में 3 महिलाओं को एक साथ फांसी देने की व्यवस्था है। इसके लिए कुंडे तो लगे हुए हैं लेकिन लीवर और तख्त बेकार हो चुका है। तख्ता जर्जर होकर जमींदोज हो गया है। शबनम को फांसी देने की तैयारी में मेरठ से जल्लाद पवन फांसी घर का दो बार निरीक्षण कर चुका है। उसने लीवर और तख्ता सही करने को कहा था। तख्ता साल की लकड़ी का बनवाया जाएगा।
फांसी घर में हो रही है प्याज की खेती
जिला कारागार स्थित फांसी घर में जेल प्रशासन खेती कर रहा है। मौसम के हिसाब से इसमें फसल पैदा की जाती है। इस समय फांसी घर के चबूतरे को छोड़कर वहां पर प्याज बोई जा चुकी है। इससे पूर्व वहां आलू हुए थे।
30.88 एकड़ में बनी हुई है जेल
जिला कारागार 30.88 एकड़ में बना हुआ है। इसमें से 13.65 एकड़ में कवर्ड क्षेत्र है, जिसमें जेल और जेल प्रशासन के अधिकारी तथा कर्मचारियों के रहने के लिए आवास हैं। बाकी हिस्सा खुला है। जिस पर जेल प्रशासन द्वारा खेती कराई जाती है।
क्षमता से ज्यादा हैं बंदी
जिला कारागार में इस समय क्षमता से अधिक बंदी हैं। कारागार की क्षमता 554 बंदियों की है लेकिन इस समय वहां करीब 1500 बंदी हैं। इनमें महिला बंदी भी क्षमता से अधिक हैं। यहां पर 30 महिला बंदियों को रखने की क्षमता है लेकिन इस समय यहां 69 महिला बंदी हैं।
सजायाफ्ता बंदी नहीं रखे जाते
सजायाफ्ता बंदियों को जिला कारागार में नहीं रखा जाता है। किसी बंदी को सजा होने के बाद आगरा या अन्य सेंट्रल जेल में भेज दिया जाता है।